Thursday, April 25, 2024

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जब डायरेक्टर के दफ्तर के बाहर रोके गए देव आनंद

देव आनंद 21 साल की उम्र में बंबई आए थे और अपने कॉन्फिडेंस के बलबूते फिल्म प्रोड्यूसर को इंप्रेस कर डाला था। देव आनंद की छवि देख कर उस वक्त वह फिल्म प्रोड्यूसर भी उन्हें देखता रह गया था।

देव आनंद ने फिल्म ‘हम एक हैं’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। फिल्म इंडस्ट्री में देव आनंद का रुतबा ऐसा था जैसा आज तक किसी एक्टर का न हो सका। बेहद खूबसूरत काया वाले देव आनंद जब काला कोट पहनते थे तो लाखों करोड़ों लड़कियां उनपर फिदा हो जाया करती थीं। एक्टर एक नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते थे। वह 21 साल की उम्र में बंबई आए और अपने कॉन्फिडेंस के बलबूते फिल्म प्रोड्यूसर को इंप्रेस कर डाला। देव आनंद की छवि देख कर उस वक्त वह फिल्म प्रोड्यूसर भी देखता रह गया था।

इस बारे में खुद देवआनंद साहब ने जिक्र किया था। एक वीडियो में देव आनंद से जब सवाल किया गया था कि ‘आपको अपनी पहली फिल्म कैसे मिली?’ इस सवाल पर देव आनंद ने बताया था- ‘मुझे 1945 में जाना पड़ेगा। 45 का मतलब पता है क्या? कितने साल हो गए? मुझे किसी ने कहा कि किसी जगह किसी दफ्तर में एक साहब खड़े हैं जो फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। वह प्रोड्यूसर हैं, उनको एक लड़का चाहिए। तो ये बात मेरे दिमाग में आ गई।’

देव आनंद ने आगे बताया था– ‘मैंने अपना ओवरकोट पकड़ा, उन दिनों बरसात हो रही थी, जुलाई का महीना था। मैं ट्रेन से निकला और चन्नी रोड़ पर उतर गया। वहां से मैं उस दफ्तर की तरफ निकल पड़ा। मैंने दफ्तर का वो बोर्ड देखा तो मैं वहां के चौकीदार के साथ जाकर बैठ गया। मैंने उस चौकीदार से पूछा साहब कहां हैं? उसने पूछा कौन से? तो मैंने कहा- पिक्चर बनाने वाले साहब! उसने मुझसे पूछा क्या काम है? तो मैंने कहा- मिलना है। तो वो मुझे बोला- तुम उनसे नहीं मिल सकते। मैंने पूछा क्यों नहीं मिल सकता? उसने कहा वह नहीं मिलते।’

देव आनंद ने आगे बताया- ‘इतने में भाईसाहब आ गए, उन्होंने मुझे देखा और आगे बढ़ते चले गए। वह थोड़ा गेट से आगे गए और फिर रुक गए। उन्होंने मुड़कर दोबारा मुझे देखा औऱ मुझे देखकर मुस्कुराए। उन्हें देख कर मैं भी मुस्कुरा दिया। तभी चौकीदार को अंदर बुलवा लिया गया। उससे पूछा गया कि वो जो लड़का बाहर खड़ा है वो कौन है? तो चौकीदार ने बताया कि साहब वो आपसे मिलना चाहता है।’

लेजेंड एक्टर ने आगे बताा था – ‘मुझे अंदर बुलाया गया और पूछा गया- क्या बात है? तो मैंने जवाब दिया कुछ नहीं! मुझे पता चला कि आपको एक लड़के की तलाश है जिसे आप ब्रेक देना चाहते हैं, मैं 21 साल का नौजवान हूं। वो हंस पड़ा, तो मैं भी हंस पड़ा। वो मुझे देख कर हंसते ही जा रहा था। उसने कहा परसों आ सकते हो? तो मैंने कहा आएंगे। परसों फिर मैं वापस गया वहां। ये राजकुमार संतोषी के पिताजी थे-पीएल संतोषी। उन्होंने फिर मुझे पसंद किया। मुझे फर्स्ट क्लास ट्रेन की टिकट दी और मैं पुणे आ गया। वहां ऑडीशन दिया। किसी ने भी मुझे रेकमेंड नहीं किया था। मैं सीधा-सीधा काम मांगने गया था औऱ मिल गया। मॉरल ऑफ द स्टोरी अपना कॉन्फिडेंस कभी न गिराओ। हमेशा कॉन्फिडेंस पहन कर चलो।’

संकलन: महेन्द्र रघुवंशी

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