Monday, May 6, 2024

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सलीम-जावेद की कहानी को नहीं मिल रहे थे खरीददार, वहीदा रहमान ने की सिफारिश, बनीं तो साबित हुई 1978 की तीसरी बड़ी HIT

सलीम-जावेद परेशान थे, क्योंकि कोई खरीददार नहीं मिल रहा था. ये बात वहीदा रहमान के कानों तक पहुंची, तो उन्होंने फिल्म को नरीमन ईरानी तक पहुंचाया. उन्होंने इस कहानी पर फिल्म बनाने का फैसला किया और फिल्म कल्ट क्लासिक साबित हुई. ‘डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुकिन है…’ इस डायलॉग के बाद तो आप समझ गए होंगे कि हम किस फिल्म की बात कर रहे हैं. ये फिल्म साल 1978 में रिलीज हुई, जो सलीम और जावेद ही नहीं अमिताभ बच्च के करियर की बेस्ट फिल्म साबित हुई. फिल्म को कोई खरीददार क्यों नहीं मिल रहा था. इसके पीछे की कहानी भी बड़ी इंटरेस्टिंग है.

दरअसल, सलीम-जावेद ने फिल्म की कहानी तो लिख ली थी. लेकिन, फिल्म का टाइटल भी डिसाइड नहीं किया था. हालांकि, कहानी पूरी थी और इसे लेकर सलीम-जावेद ने देव आनंद, प्रकाश मेहरा और जीतेंद्र के घरों के खूब चक्कर काटे, लेकिन तीनों ने इस स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाने से मना कर दिया. दरअसल, सलीम-जावेद ने फिल्म की कहानी तो लिख ली थी. लेकिन, फिल्म का टाइटल भी डिसाइड नहीं किया था. हालांकि, कहानी पूरी थी और इसे लेकर सलीम-जावेद ने देव आनंद, प्रकाश मेहरा और जीतेंद्र के घरों के खूब चक्कर काटे, लेकिन तीनों ने इस स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाने से मना कर दिया.

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