बॉलीवुड का इतिहास ऐसे कई सितारों से भरा हुआ है जिन्होंने अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों में जगह बनाई, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो पर्दे पर जितने सहज दिखते हैं, असल जिंदगी में भी उतने ही सादगी भरे होते हैं। विनोद मेहरा ऐसे ही एक अभिनेता थे, जिनकी मुस्कान में मासूमियत, अदाकारी में गहराई और व्यक्तित्व में एक अलग ही आकर्षण था।
बाल कलाकार से मुख्य अभिनेता बनने तक का सफर
विनोद मेहरा का फिल्मी सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। 1958 में आई फिल्म ‘रागिनी’ में उन्होंने किशोर कुमार के किरदार के बचपन का रोल निभाया था। इसके बाद भी उन्होंने कुछ और फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम किया, लेकिन असली पहचान उन्हें 1971 में ‘एक थी रीटा’ से मिली, जहां उन्होंने लीड एक्टर के तौर पर डेब्यू किया।
लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था। 1965 में फिल्मफेयर और यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में उन्होंने हिस्सा लिया और पूरे देश से आए 10,000 से ज्यादा प्रतियोगियों को पीछे छोड़ते हुए फाइनलिस्ट बने। हालांकि, वह पहला स्थान नहीं जीत सके और राजेश खन्ना के बाद रनर-अप बने।
इसके बावजूद विनोद मेहरा ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से फिल्मी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्हें निर्देशक रूप के. शोरी ने पहली बार नोटिस किया और फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बना लिया।
सफलता का स्वाद और सुपरहिट फिल्में
1970 के दशक में विनोद मेहरा ने कई हिट फिल्मों में काम किया और धीरे-धीरे बॉलीवुड के भरोसेमंद कलाकारों में शामिल हो गए। उन्होंने ‘परदे के पीछे’ में योगिता बाली के साथ काम किया और फिर एक के बाद एक बेहतरीन फिल्मों में नजर आए। ‘एलान’ (रेखा के साथ), ‘अमर प्रेम’ (राजेश खन्ना के साथ), ‘लाल पत्थर’, और ‘अनुराग’ (मौसमी चटर्जी के साथ) जैसी फिल्मों ने उन्हें एक सशक्त अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
हालांकि, शुरुआती दिनों में उन्हें मुख्य अभिनेता के रूप में कुछ फिल्में मिलीं, लेकिन बाद में उन्होंने सहायक किरदारों में भी शानदार अभिनय किया। उन्होंने भाई, दोस्त, पिता, पुलिस ऑफिसर, और कई अलग-अलग भूमिकाओं में अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
बड़े सितारों के साथ स्क्रीन शेयर करना
विनोद मेहरा का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह था कि वह किसी भी बड़े स्टार के साथ काम करते हुए भी अपनी अलग पहचान बनाए रखते थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, धर्मेंद्र, सुनील दत्त और राजेश खन्ना जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर की और अपनी सहज अभिनय शैली से दर्शकों का दिल जीता।
उनकी ऑन-स्क्रीन जोड़ी कई अभिनेत्रियों के साथ हिट रही, जिनमें रेखा, मौसमी चटर्जी, योगिता बाली, शबाना आज़मी और बिंदिया गोस्वामी शामिल हैं।
फिल्मों की लंबी लिस्ट और बहुआयामी किरदार
विनोद मेहरा ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ यादगार फिल्मों में शामिल हैं:
✔️ अमर प्रेम (1972)
✔️ अनुराग (1972)
✔️ घर (1978) – जया भादुरी के साथ एक इमोशनल ड्रामा
✔️ स्वर्ग नरक (1978)
✔️ जुर्माना (1979)
✔️ द बर्निंग ट्रेन (1980)
✔️ खुद्दार (1982)
✔️ सत्यमेव जयते (1987)
✔️ पत्थर के फूल (1991)
व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष
फिल्मों में जितने सफल थे, निजी जिंदगी में विनोद मेहरा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी शादी, रिलेशनशिप और निजी जिंदगी अक्सर चर्चा में रही। खासकर रेखा के साथ उनकी नजदीकियों को लेकर काफी अफवाहें थीं, हालांकि उन्होंने खुद इस पर कभी खुलकर कुछ नहीं कहा।
उन्होंने मीना ब्रोका, बिंदिया गोस्वामी और किरण मेहरा से शादी की थी। हालांकि, उनकी निजी जिंदगी ज्यादा स्थिर नहीं रही और वे अक्सर पारिवारिक समस्याओं से जूझते रहे।
अचानक निधन और बॉलीवुड का बड़ा नुकसान
30 अक्टूबर 1990 को सिर्फ 45 साल की उम्र में हार्ट अटैक से विनोद मेहरा का निधन हो गया। यह बॉलीवुड के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी, क्योंकि वे अभी भी शानदार अभिनय कर रहे थे और उनकी कई फिल्में अधूरी रह गई थीं।
विरासत जो आज भी ज़िंदा है
विनोद मेहरा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में आज भी लोगों को हंसाती, रुलाती और प्रेरित करती हैं। उनके बेटे रोहित मेहरा और बेटी सोनिया मेहरा भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहे हैं।
उनका सफर हमें सिखाता है कि संघर्ष से कभी घबराना नहीं चाहिए, मेहनत और लगन से सफलता जरूर मिलती है। विनोद मेहरा बॉलीवुड के उन सितारों में से एक थे जिनका नाम हमेशा याद किया जाएगा। 🎬💖