1947 में आई केदार शर्मा निर्देशित फिल्म” नील कमल” मधुबाला की पहली फ़िल्म थी। और 1953 में शम्मी कपूर ने ‘रेल का डिब्बा’ फ़िल्म में मधुबाला संग पहली बार काम किया था। एक इंटरव्यू में शम्मी ने कहा था के वो जानता था के मधुबाला दिलीप कुमार से प्यार करती है लेकिन फिर भी वो मधुबाला से प्यार किए बिना रह नही पाए। और सन 1950 आते आते वो भी सफलता का नशा भोग चुके थे। शम्मीकपूर ने एक बार कहा था के जब मैं “रेल का डिब्बा” फ़िल्म के सेट पे मधुबाला से मिला तो उसे देखते ही रह गया, वो इतनी खूबसूरत थी के मेरी नज़रें उसके चेहरे से ना चाहते हुए भी हट नही रही थी। उस बख्त मैं इतना नर्वस था के मै अपने डायलॉग की लाइने बार बार भूल रहा था और मेरी मनोस्थिति और मुझ पर उसके प्रभाव से मधुबाला भली भाँती वाकिफ थी और शोख़ हसीना इसका पूरा आनंद ले रही थी.. शम्मीकपूर ने खुलासा करते हुए कहा था के कैसे मधुबाला दिलीप साहब और प्रेम नाथ से रोमांटिक रूप से जुड़ी हुई थी, और फिर भी मैं उसके प्यार में पड़ने से खुद को रोक नहीं पाया। वो कहते थे के एक तरफ प्रेम नाथ और दूसरी तरफ दिलीप साहब और बीच में शम्मीकपूर कैसे आ गया, उस समय मैं कुछ भी नहीं था, और किसी ने भी मेरा नाम मधु के साथ जोड़ने की जहमत नहीं उठाई। मुझे स्वीकार करना चाहिए के ये जानते हुए भी के मधु पहले से ही प्यार मे थी, फिर भी मैं उसके प्यार में पागल होने से खुद को रोक नहीं पाया
अगर देखा जाए तो यहां पर मेरा फिर वही सवाल खड़ा होता है के इतनी बड़ी बड़ी, इतनी नामचीन एक्ट्रेस जिनके चाहने वालों की लाइने लगी रहती थी.. हैंडसम, रिच, कुँवारे इनके प्यार में इतने पागल होते है के शादी तो क्या वो कहें तो वो जान भी दे दें.. लेकिन ये हीरोइन्स शादी करते समय इनकी अकल क्या घास खाने चली जाती है.. इनको दहला कैसा मिलता है या ये शादी करते समय क्या देखती है या इनकी सोच क्या होती है..लगता है मुझे इस सवाल का सही जवाब इस जन्म में नहीं मिलेगा.. तुम लोग मदद करो.. बस पैसों वाला कॉमेंट मत करना.. क्योंके पैसा तो खुद इनके पास इतना होता है, लेकिन फिर भी ये शादी शुदा से ही शादी करती है जो इनके मेल का भी नहीं होता????
शम्मीकपूर ने एक बार कहा कि कैसे वे मधुबाला से प्यार में पड़ने से खुद को रोक नहीं पाया।
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