80 के दशक के अंत में “मैंने प्यार किया” की अपार सफलता ने बॉलीवुड को पूरी तरह रोमांस मोड में कर दिया था। एक्शन फिल्मों और उनके हीरोज का क्रेज, जिसे अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती जैसे सुपरस्टार्स भी अपने चरम पर लेकर आए थे, अब धीरे-धीरे रोमांस की आंधी में उखड़ने लगे थे।
तभी, 22 जून 1990 को, राजकुमार संतोषी ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘घायल’ लेकर आए। इसी दिन रोमांटिक फिल्म ‘दिल’ भी रिलीज हुई। लेकिन ‘अजय मेहरा’ के दमदार अभिनय से सनी देओल ने सबको घायल कर दिया।
“झक मारती है पुलिस, उतारकर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में।”
कानून व्यवस्था से नाराज़ एक नौजवान ‘अजय मेहरा’ का आक्रोश देखकर दर्शक खुद को वहाँ देखने लगे। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक दर्शकों के रोंगटे खड़े करने में कामयाब रहा।
घायल के लिए कोई प्रोड्यूसर तैयार नहीं था। कमल हासन के लिए लिखी कहानी में मिथुन चक्रवर्ती को राजी करना पड़ा। फिर संजय दत्त को लेने की शर्त पर फाइनेंसर राजी हुआ। पर जब धरम जी ने कहानी सुनी, तो वे खुद प्रोड्यूस करने को तैयार हो गए। उसके बाद तो इतिहास बन गया।
बेस्ट हीरो और बेस्ट फिल्म के दो नेशनल अवार्ड्स और सात फिल्मफेयर अवार्ड्स जीतकर ‘घायल’ आल टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई। एक्शन फिल्मों का घोड़ा सनी देओल को बिठाकर बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने लगा। सनी-संतोषी की जोड़ी ने फिर ‘दामिनी’ और ‘घातक’ जैसी कल्ट-क्लासिक कालजयी फिल्में दीं।
घायल फ़िल्म की सबसे अच्छी बात कौन सी लगी
1.दर्शकों को बांधने वाली कहानी और स्क्रीनप्ले
2।.बेहतरीन अदाकारी
3.धाँसू डायलॉग
4.अच्छे गाने