बॉलीवुड में ऐसे कई सेलिब्रिटी हुए हैं जो अपनी आवाज के लिए रिजेक्ट हुए हैं जिनमें अमिताभ बच्चन एक बड़ा उदाहरण हैं जिन्हें ऑल इंडिया रेडियो ने रिजेक्ट कर दिया था. ऐसा ही लता मंगेशकर के साथ भी हुआ था लेकिन दोनों ही सेलेब्स को लोग उनकी प्रतिभा के अलावा आवाज से भी जानते हैं. इस आर्टिकल में हम एक अन्य सेलिब्रिटी के बारे में बात रहे हैं और उसे भी अपनी आवाज की वजह से रिजेक्ट होना पड़ा था लेकिन बाद में उसने अपने दम ऐसा स्टारडम हासिल किया कि लोग हमेशा उसे याद करते रहेंगे.
जिसके बारे में हम यहां बात कर रहे हैं वो भारतीय सिनेमा एक विलेन स्टार है जिसने अपनी खलनायिकी के दम पर पर्दे पर स्टार लंबे वक्त तक राज किया है. भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमने शायद ही उनके जैसा कोई ‘खलनायक’ देखा हो. उनके ‘मोगैम्बो खुश हुआ’ जैसे डायलॉग आज भी पॉप कल्चर का हिस्सा हैं और वो नाम अमरीश पुरी ही है.
साल 1970 था जब उन्हें 40 साल की उम्र में अपना पहला बॉलीवुड प्रोजेक्ट मिला था. उन्होंने फिल्म प्रेम पुर्जरी में एक गुर्गे का किरदार निभाया. 1980 में वो पहली बार फिल्म हम पांच में मुख्य खलनायक बने. लगभग 450 फिल्मों में काम करने वाले अमरीश पुरी अपनी समय की पाबंदी के लिए जाने जाते थे और अपने टाइम को महत्व देते थे. उनके काम करने का तरीका इंडस्ट्री में काफी मशहूर था. एक बार अमरीश पुरी और गोविंदा एक फिल्म पर साथ काम कर रहे थे. शूटिंग सुबह 9 बजे शुरू होनी थी, अमरीश पुरी तो पहुंच गए लेकिन गोविंदा कहीं नजर नहीं आए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोविंदा सेट पर करीब 9 घंटे की देरी से आए और इसके बाद अमरीश पुरी अपना आपा खो बैठे लंबी बहस के बाद उन्होंने गोविंदा को थप्पड़ मार दिया. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमरीश पुरी के साथ हुई इस घटना ने गोविंदा को इतना परेशान कर दिया कि उन्होंने कभी भी उनके साथ काम नहीं करने की कसम खा ली.