विवेक मुश्रान की कहानी एक दिलचस्प और प्रेरणादायक यात्रा है, जो दिखाती है कि कैसे एक फिल्म की सफलता भी कभी-कभी करियर की दिशा को बदल सकती है।
विवेक मुश्रान का जन्म 09 अगस्त 1969 को उत्तर प्रदेश के रेणूकूट में हुआ था। उनके पिता विजय कुमार मुश्रान बिरला कंपनी में मार्केटिंग हेड थे और मां अनुसूया एक टीचर थीं। विवेक की शुरुआती पढ़ाई रेणूकूट से हुई और फिर शेरवुड कॉलेज, नैनीताल में बोर्डिंग स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। शेरवुड कॉलेज में उनकी एक्टिंग और थिएटर के प्रति रुचि जगी, हालांकि उन्होंने कभी भी फॉर्मल एक्टिंग ट्रेनिंग नहीं ली।
सिडनैम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान विवेक ने मॉडलिंग शुरू की, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। उनकी मॉडलिंग की सफलता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने का आत्मविश्वास दिया।
उनकी डेब्यू फिल्म “सौदागर” (1991) ने उन्हें एक स्टार बना दिया। इस फिल्म में दिलीप कुमार और राज कुमार जैसे दिग्गजों के साथ काम करके उन्होंने खुद को साबित किया। लेकिन “सौदागर” के बाद उनकी करियर की सफलता का ग्राफ अचानक गिर गया।
उनकी दूसरी फिल्म “फर्स्ट लव लैटर” को रिलीज नहीं किया गया, और इसके बाद की फिल्मों जैसे “प्रेम दीवाने,” “सातवां आसमान,” और “बेवफा से वफा” में भी वे प्रभावी सफलता प्राप्त नहीं कर सके। इसके बाद उन्हें सपोर्टिंग रोल्स में ही काम मिलना शुरू हुआ।
2000 के दशक की शुरुआत में विवेक ने इंडस्ट्री से दूरी बना ली, लेकिन 2005 में उन्होंने “किसना” के साथ वापसी की कोशिश की, जो सफल नहीं हो पाई। इसके बाद विवेक ने “तमाशा,” “बेगम जान,” और “वीरे दी वेडिंग” जैसी फिल्मों और कुछ टीवी शोज़ में भी काम किया।
विवेक मुश्रान की व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उन्होंने अब तक शादी नहीं की है। वे मानते हैं कि शादी केवल दुनिया को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि असली खुशी और समझदारी से दो लोगों के साथ रहना सबसे महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि एक सही साथी मिलने पर वे बिना शादी किए भी खुश रह सकते हैं।