परिचय:
“बहारों के सपने” 1967 में रिलीज़ हुई एक हिंदी फिल्म है, जिसे नासिर हुसैन ने प्रोड्यूस, डायरेक्ट और लिखा था। यह फिल्म नासिर हुसैन की अन्य फिल्मों से बिल्कुल अलग थी, और यही कारण है कि दर्शकों ने इसे अपेक्षित रूप से स्वीकार नहीं किया। फिल्म की कहानी में गहराई और गंभीरता थी, जो नासिर हुसैन के सामान्य रोमांटिक और मसाला फिल्मों से अलग थी।
कहानी:
फिल्म की कहानी रामू (राजेश खन्ना) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक गरीब युवक है और अपने परिवार के लिए संघर्ष कर रहा है। उसकी मुलाकात गीता (आशा पारेख) से होती है, और दोनों के बीच प्रेम पनपता है। हालांकि, फिल्म की कहानी साधारण प्रेम कहानियों से अलग थी, क्योंकि इसमें समाज की समस्याओं, गरीबी, और संघर्षों को प्रमुखता से दिखाया गया था। फिल्म का अंत दुखद था, लेकिन दर्शकों की प्रतिक्रिया के बाद इसे बदलकर सुखद अंत कर दिया गया।
विशेषताएँ:
फिल्म की सबसे खास बात यह थी कि यह पूरी फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में थी, लेकिन एक गाना “क्या जानू सनम” रंगीन था। यह उस समय एक अनोखी बात थी और इसने फिल्म को एक विशेष पहचान दी।
व्यक्तिगत और पेशेवर संबंध:
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान नासिर हुसैन, जो कि पहले से ही असिस्टेंट कोरियोग्राफर आयशा खान से शादीशुदा थे, का अफेयर आशा पारेख के साथ चल रहा था। यह आखिरी फिल्म थी जिसमें तीनों ने साथ काम किया। आशा पारेख ने अपनी आत्मकथा “द हिट गर्ल” में इस बारे में लिखा है कि आयशा खान हमेशा उनके प्रति दयालु रहीं, भले ही स्थिति कितनी भी अजीब क्यों न हो। लेकिन आखिरकार, आशा पारेख ने नासिर हुसैन के साथ अपना रिश्ता खत्म कर दिया, क्योंकि वह “दूसरी महिला” नहीं बनना चाहती थीं।
फिल्म के साथ जुड़ी अन्य बातें:
विजय आनंद को इस फिल्म के निर्देशन के लिए साइन किया गया था, लेकिन उन्होंने बाद में इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया। फिल्म के दर्शकों की उम्मीदें नासिर हुसैन की सामान्य रोमांटिक फिल्मों की तरह थीं, लेकिन जब उन्हें एक गहरी और गंभीर कहानी मिली, तो वे निराश हो गए। इसके बावजूद, “बहारों के सपने” एक अच्छी फिल्म थी और इसे समय के साथ आलोचकों द्वारा सराहा गया।
निष्कर्ष:
“बहारों के सपने” एक ऐसी फिल्म थी जिसने नासिर हुसैन के फिल्म निर्माण के अंदाज को चुनौती दी। फिल्म की कहानी, इसके किरदार, और विशेष रूप से इसके ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन गाने का संयोजन इसे एक यादगार फिल्म बनाता है। हालांकि इसे अपने समय में वह पहचान नहीं मिली, लेकिन समय के साथ इसने अपने लिए एक विशेष स्थान बना लिया।