धर्मेंद्र, जितेंद्र, विनोद खन्ना और मिथुन चक्रवर्ती के दौर में फिल्मों और गानों की बात ही अलग हुआ करती थीं. जहां आज एक्ट्रेस भी आइटम सॉन्ग करने लगी हैं और एक गाने को हिट कराने के लिए इतना तामझाम करना पड़ता है, वहीं, उस 80 के दशक में एक एक्ट्रेस ने बिना लटके झटके एक जगह खड़े-खड़े ही ऐसी परफॉर्मेंस दी थी कि वह गाना सुपर-डुपर हिट हुआ था.
बात अगर उस दौर की करें तो उस दौर में एक्ट्रेसेस अपनी दिलकश अदाओं से लोगों का दिल जीत लेती थीं. उनकी सादगी और अलग अंदाज ही लोगों को पसंद आता था. इसी वजह से आज भी लोग पुरानी फिल्मों को देखना और गाने सुनना पसंद करते हैं. साल 1980 में भी एक ऐसी ही एक फिल्म आई थी, जिसमें जितेंद्र एक्ट्रेस को बस देखते ही रहे और गाना सुपरहिट हो गया था.
हम बात कर रहे हैं जितेंद्र और रीना रॉय की साल 1980 में आई फिल्म ‘आशा’ की. इस फिल्म को उस दौर में काफी पसंद किया गया था. गाना इतना पॉपुलर हुआ था कि हर जगह यही गाना सुनने को मिला करता था. इस गाने में रीना रॉय नजर आईं थीं. उन्होंने गाने में कोई लटके-झटके या रोमांस नहीं किया था. बड़ी ही सादगी से शरारा पहने वह एक ही जगह माइक सामने खड़ी ये गाना गाती हैं.और गाना ‘शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है…’ सुपरहिट हो गया था.
दिलचस्प है गाने के पीछे की कहानी
इस गाने के पीछे का दिलचस्प खुलासा खुद रीना रॉय ने किया था. उस दौर के उस सुपरहिट गाने को लोग आज भी बहुत पसंद करते है. रीना रॉय ने खुद प्रसार भारती को दिए इंटरव्यू में इस गाने के बारे में बताया था. उन्होंने कहा, ‘आशा का गाना ही इतना पॉपुलर हुआ था कि क्या बताऊं, कुछ गाने ऐसे होते भी हैं, जिनमें भले ही ऐसा कुछ अलग ना हो लेकिन वो अच्छे लगते हैं. इस गाने का सारा श्रेय ओमजी को जाता है. उन्होंने ही कहा कि सिर्फ इस गाने में खड़े ही रहना है.
बता दें कि साल 1980 में सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली फिल्म ‘आशा’ में रीना रॉय के साथ जितेंद्र, सुंदर, गिरीश कर्नाड और भगवान दादा अहम भूमिका में नजर आए थे. जे ओम प्रकाश के निर्देशन में बनी इस फिल्म ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी.