‘नसीब’ 1981 में रिलीज़ हुई एक भारतीय हिंदी भाषा की मसाला फिल्म है, जिसका निर्माण और निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया था। इस फिल्म की कहानी कादर खान ने लिखी थी, और यह फिल्म मनमोहन देसाई की विशिष्ट शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। फिल्म में अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, ऋषि कपूर, हेमा मालिनी, रीना रॉय और किम ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। इसके अलावा प्राण, प्रेम चोपड़ा, शक्ति कपूर, कादर खान, अमजद खान और अमरीश पुरी ने सहायक भूमिकाओं में अपने अद्भुत अभिनय से फिल्म को सजाया था। जीवन ने भी एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभाई थी।
फिल्म का संगीत मनमोहन देसाई की फिल्मों के नियमित संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने तैयार किया था। सभी गीतों के बोल प्रसिद्ध गीतकार आनंद बक्शी ने लिखे थे।
“जॉन जानी जनार्दन” गाने का खास आकर्षण:
फिल्म का एक प्रमुख और यादगार गीत “जॉन जानी जनार्दन”, जिसे मोहम्मद रफ़ी ने गाया था, अपने आप में एक खास आकर्षण था। इस गाने में कई बड़े कलाकारों ने स्वयं की भूमिकाओं में कैमियो किया था। इन कलाकारों में राज कपूर, शम्मी कपूर, रणधीर कपूर, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, राकेश रोशन, विजय अरोड़ा, वहीदा रहमान, शर्मिला टैगोर, माला सिन्हा, बिंदु, सिमी गरेवाल, सिंपल कपाड़िया और प्रेमा नारायण शामिल थे। एक इंटरव्यू के अनुसार, इस गाने की शुरुआती पंक्ति खुद मनमोहन देसाई ने तैयार की थी। इस गाने की धुन फिल्म ‘बॉबी’ के गीत “अक्सर कोई लड़का” से प्रेरित थी।
यह स्टार-स्टडेड गाना आर.के. स्टूडियो में शूट किया गया था, और इस गाने की शूटिंग एक सप्ताह तक चली थी। शोमैन राज कपूर ने इस गाने और इसकी शूटिंग के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एक सप्ताह तक चली इस शूटिंग के दौरान स्टूडियो में एक महोत्सव जैसा माहौल बना रहा था।
बॉक्स ऑफिस पर नसीब की सफलता:
‘नसीब’ बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट साबित हुई। यह फिल्म “ऑल टाइम अर्नर” बनी, जिसे उस समय के ट्रेड गाइड बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस मैगज़ीन द्वारा सबसे उच्चतम वर्गीकरण (जो आज के ‘ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर’ के समकक्ष है) प्राप्त हुआ। यह उन दुर्लभ फिल्मों में से एक थी जिसने एक क्षेत्र में 1 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार किया। 1984 से पहले केवल 13 “ऑल टाइम अर्नर” फिल्में थीं, और ‘नसीब’ उनमें से एक थी।
यह फिल्म बाद में तमिल में ‘संधिप्पु’ (1983) और तेलुगु में ‘त्रिमूर्तुलु’ (1987) के रूप में भी बनाई गई।
‘नसीब’ आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और मनमोहन देसाई के निर्देशन कौशल का एक शानदार उदाहरण है।