1999 का स्वतंतंत्र दिवस वीकेंड एक विश्स रूप से यादगार था, क्योंकि उस समय बॉक्स ऑफिस पर दो बड़े दिग्गजों के बीच एक रोमांचक मुकाबला देखने को मिला—सुभाष घई की म्यूजिकल ड्रामा “टाल” और मेहुल कुमार की एक्शन-ड्रामा “कोहराम”। इन दोनों फिल्मों में न केवल बड़े-बड़े सितारे थे, बल्कि दोनों फिल्मों का दर्शकों में बेसब्री से इंतजार भी था। हालांकि, जब ये दोनों फिल्में एक ही समय पर रिलीज़ होने के लिए तैयार हुईं, तो बॉलीवुड में एक जबरदस्त टकराव का माहौल बन गया।
सुभाष घई की “ताल”
“ताल” एक संगीत प्रधान फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर, अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या राय ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं। इस फिल्म का निर्देशन सुभाष घई ने किया था, जो अपने समय के सबसे प्रतिष्ठित निर्देशकों में से एक थे। “ताल” की कहानी एक साधारण गाँव की लड़की मंजीत कौर (मंसी) की थी, जो एक मशहूर संगीतकार की जिंदगी में आती है और उनका जीवन बदल देती है।
फिल्म की खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी, अद्भुत संगीत (ए. आर. रहमान द्वारा) और ऐश्वर्या राय के शानदार प्रदर्शन ने इसे रिलीज़ से पहले ही चर्चा का विषय बना दिया था। इसके गाने जैसे “ताल से ताल मिला” और “नहिन सामना” पहले ही चार्टबस्टर बन चुके थे, जिससे फिल्म के प्रति दर्शकों की उत्सुकता और भी बढ़ गई थी।
मेहुल कुमार की “कोहराम”
दूसरी तरफ, “कोहराम” एक देशभक्ति से भरपूर एक्शन फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म की कहानी दो सेना अधिकारियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो देश के दुश्मनों से लड़ने के लिए एकजुट होते हैं। यह फिल्म देशभक्ति और एक्शन से भरपूर थी, और मेहुल कुमार के निर्देशन में इसे दर्शकों के बीच खासा समर्थन मिल रहा था।
“कोहराम” में अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर की जोड़ी ने इसे और भी खास बना दिया था। दोनों ही सितारे उस समय के बड़े एक्शन हीरो थे, और उनके फैंस इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। फिल्म का विषय गंभीर था, और इसे देशभक्ति की भावना से भरपूर तरीके से प्रस्तुत किया गया था, जिससे यह फिल्म उन दर्शकों के लिए एक आदर्श विकल्प थी जो एक्शन और ड्रामा पसंद करते थे।
टकराव का क्षण
1999 के अगस्त महीने में, जब इन दोनों फिल्मों की रिलीज़ डेट पास आई, तो दोनों फिल्मों के निर्माताओं और वितरकों के बीच तनाव का माहौल बनने लगा। “ताल” की रिलीज़ की तारीख 13 अगस्त 1999 तय की गई थी, जबकि “कोहराम” को भी उसी दिन रिलीज़ किया जाना था। यह टकराव इसलिए भी खास था क्योंकि दोनों फिल्मों के दर्शक वर्ग अलग-अलग थे—“टाल” रोमांस और संगीत पसंद करने वालों के लिए थी, जबकि “कोहराम” एक्शन और देशभक्ति के शौकीनों के लिए।
रिलीज़ और नतीजा
आखिरकार, दोनों फिल्में एक ही दिन रिलीज़ हुईं और बॉक्स ऑफिस पर आमने-सामने आ गईं। “ताल” ने अपने संगीत, खूबसूरत लोकेशन और शानदार प्रदर्शन के कारण दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। दूसरी ओर, “कोहराम” ने अपने जोरदार एक्शन और देशभक्ति की भावना के कारण अपना अलग फैन बेस बना लिया।
हालांकि, “ताल की संगीत की लोकप्रियता ने इसे बॉक्स ऑफिस पर थोड़ा आगे कर दिया, लेकिन “कोहराम” ने भी एक सम्मानजनक प्रदर्शन किया। “टाल” को अपने लाजवाब संगीत और अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले, जबकि “कोहराम” को अपनी दमदार कहानी और अभिनय के लिए प्रशंसा मिली।
निष्कर्ष
इस टकराव में कोई हार-जीत जैसी स्थिति नहीं थी, क्योंकि दोनों फिल्मों ने अपने-अपने दर्शकों का मनोरंजन किया और अपने तरीकों से सफल हुईं। “टाल” और “कोहराम” का यह बॉक्स ऑफिस मुकाबला आज भी याद किया जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि सिनेमा में प्रतिस्पर्धा के बावजूद, हर फिल्म की अपनी खासियत होती है, जो दर्शकों को आकर्षित करती है।