Saturday, May 4, 2024

Latest Posts

Hotness Personified

जब विनोद मेहरा को मिला ब्रेक,ब्रेक मिलने का भी अजीब सा क़िस्सा है

साल 1971 में आई फिल्म ‘एक थी रीता’ से बतौर नायक विनोद मेहरा ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। इसमें उनके अपोजिट तनूजा थी।

इस फिल्म में ब्रेक मिलने का भी अजीब सा क़िस्सा है। दरअसल, मुंबई के चर्चगेट इलाक़े का गेलार्ड नाम का रेस्तरां था, जो 50-60 दशक में स्ट्रगलर्स का अड्डा हुआ करता था।

अक्सर फिल्म निर्माता-निर्देशक वहां जाया करते थे। ऐसे ही एक दिन रूप के शौरी भी वहां जा पहुंचे और उनकी नज़र सीधे विनोद मेहरा पर पड़ी। शौरी की नज़र में विनोद इस क़दर चढ़े कि उनको सीधे अपनी फिल्म ‘एक थी रीता’ में बतौर लीड ब्रेक दे दिया।

हालांकि, विनोद ने पहली बार कैमरा फेस नहीं किया था, इससे पहले भी वो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कैमरा फेस कर चुके थे। साल 1958 में आई फिल्म ‘रागिनी’ में उन्होंने काम किया। फिर आई एक जौहर की साल 1960 में आई फिल्म बेवकूफ में उन्होंने किशोर कुमार के बचपन का किरदार निभाया। इसके अलावा साल 1960 में ही आई विजय भट्ट की फिल्म ‘अंगुलीमाल’ में भी वो ‘अभिषेक’ की भूमिका में दिखे।

‘एक थी रीता’ के बाद साल 1971 में आई ‘लाल पत्थर’ और साल 1972 में आई शक्ति सामंत की फिल्म ‘अमर प्रेम’ में दिखे। लेकिन उनके हिस्से बड़ी कामयाबी फिल्म ‘अनुराग’ लेकर आई।

साल 1972 में आई शक्ति सामंत की फिल्म ‘अनुराग’ में विनोद एक आदर्शवादी युवक की भूमिका में थे। इसमें उनके अपोजिट थीं मौसमी चटर्जी, जिन्होंने दृष्टिहीन युवती का किरदार निभाया था। इस फिल्म ने विनोद मेहरा को लोगों की नज़र में खड़ा कर दिया, लेकिन पेंच अभी भी बरकरार था।।

Facebook Comments
spot_img

Latest Posts

Don't Miss

spot_img