साल 1969 की बात है। अमिताभ बच्चन, जो उस समय एक स्ट्रगलर थे और फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, एक दिन नासिर हुसैन की फिल्म ‘प्यार का मौसम’ के डबिंग स्टूडियो पहुंचे। दरअसल, अमिताभ को शशि कपूर से मिलना था, जिनकी वो तलाश कर रहे थे। अमिताभ का परिवार दिल्ली में पृथ्वीराज कपूर के परिवार से परिचित था, इसलिए अमिताभ को लगा कि वो शशि कपूर से मुलाकात कर सकते हैं और शायद इंडस्ट्री में कोई रास्ता खुल सके।
अमिताभ जब स्टूडियो पहुंचे, तो नासिर हुसैन की नजर उन पर पड़ी। नासिर हुसैन उस समय फ़िल्म के काम में व्यस्त थे, और उन्होंने अमिताभ को एक अजनबी की तरह देखा। नासिर ने गुस्से से अमिताभ से पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो?” अमिताभ ने समझाने की कोशिश की कि वो शशि कपूर से मिलने आए हैं, लेकिन नासिर हुसैन का गुस्सा और बढ़ गया।
नासिर हुसैन ने बिना कोई दूसरी बात किए अमिताभ बच्चन को स्टूडियो से बाहर निकाल दिया। उन्होंने सोचा कि ये कोई बाहरी व्यक्ति है जो बिना इजाजत के स्टूडियो में आ गया है। उस समय नासिर हुसैन को यह नहीं पता था कि ये वही अमिताभ बच्चन हैं, जो भविष्य में हिंदी सिनेमा का एक बहुत बड़ा नाम बनने वाले हैं।
इस घटना के बाद, अमिताभ बच्चन ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा और धीरे-धीरे इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। हालांकि, इस क़िस्से ने एक बार फिर साबित कर दिया कि किस्मत कभी भी किसी का इंतजार नहीं करती, लेकिन मेहनत और लगन से की गई कोशिशें हमेशा रंग लाती हैं।
अमिताभ बच्चन, जो उस दिन एक अजनबी की तरह स्टूडियो से बाहर कर दिए गए थे, वही बाद में हिंदी सिनेमा के “शहंशाह” बने और उनके बिना बॉलीवुड की कहानी अधूरी है।