फिल्म ‘चांदनी’ की कहानी कामना चंद्रा की लिखी है। स्त्री पुरुष संबंधों पर उनकी लिखी कहानी ‘प्रेम रोग’ साल 1982 में सुपरहिट हो चुकी थीं। बीच में एक टेलीविजन धारावाहिक भी कामना ने लिखा ‘तृष्णा’ के नाम से। ‘
चांदनी’ की कहानी जब यश चोपड़ा ने सुनी तो उन्हें तुरंत लगा कि इस कहानी में दम है और ये कहानी हिंदी सिनेमा में रोमांस, प्रेम और संगीत की वापसी करा सकती है। फिल्म की कहानी समाज के धनाढ्य वर्ग की कहानी है। ऐसी कहानियां आम जनता को बहुत पसंद आती रही हैं। जमाना आर्थिक उदारीकरण की तरफ बढ़ तो चला था लेकिन पैसा अब भी उच्च वर्ग और उच्च मध्यवर्ग के पास ही आ रहा था। मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए अब भी जीवन मुश्किल ही था। अमीरी वह सिर्फ फिल्मों में देख पाता था और ऐसे अमीर लोगों की नसों को दबाने वाली कहानियों में उसे एक अलग तरह का सुख मिलता था।
यश चोपड़ा ने हिंदी दर्शक वर्ग की ये नस अच्छे से पकड़ी हुई थी और उन्हें समझ आने लगा था कि बीती फिल्मों में वह गलतियां कहां कर रहे थे। इस बार वह ये गलती दोहराना नहीं चाहते थे। फिल्म की ओरीजनल कहानी में एक सीन होता है जहां विनोद खन्ना आग में फंसी श्रीदेवी को बचाते हैं। यश चोपड़ा ने ये सीन शूट भी कर लिया लेकिन जब वह इसे एडिट करने बैठे तो उनका विचार बदल गया। उन्होंने श्रीदेवी को फोन किया और कहा कि वह कहानी बदल रहे हैं। ऋषि कपूर पर उनको पहले से भरोसा था।विनोद खन्ना ने भी एतराज किया नहीं।
हां, फिल्म वितरकों को जरूर विनोद खन्ना का एक्शन सीन फिल्म से हटाया जाना अच्छा नहीं लग रहा थो तो यश चोपड़ा ने उनको फिल्म के एडवांस में डिस्काउंट देकर पटा लिया। यश चोपड़ा ने इसके बाद कामना चंद्रा की लिखी कहानी अधिकतर बदल दी। कामना की कहानी में रोहित का किरदार चांदनी से शादी करने और एक बच्चे का बाप बनने के बाद अपाहिज होता है। फिल्म के क्लाइमेक्स में दोनों का बेटा चांदनी की दूसरी शादी में गुलदस्ता लेकर जाता है। लेकिन, यश चोपड़ा ने रोहित और चांदनी की प्रेम कहानी को सगाई के बाद ही ब्रेक कर दिया। बंबई में ललित और चांदनी में प्रेम तो कराया लेकिन क्लाइमेक्स में रोहित और चांदनी को फिर मिला दिया।