चक दे इंडिया भारतीय सिनेमा की एक यादगार फिल्म है, जिसने न केवल दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई, बल्कि खेल और देशभक्ति के मुद्दों को भी बहुत सशक्त तरीके से पेश किया। 10 अगस्त 2007 को रिलीज़ हुई इस फिल्म को शाहरुख खान के करियर की एक बड़ी हिट मानी जाती है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म में शाहरुख खान की जगह पहले सलमान खान और जॉन अब्राहम को भी कास्ट करने का विचार था।
सलमान खान ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि उन्हें चक दे इंडिया ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने फिल्म का नाम पसंद नहीं आने की वजह से इसे ठुकरा दिया। उनके अनुसार, फिल्म का नाम उनके पाकिस्तानी और बांग्लादेशी फैंस को पसंद नहीं आता, इसलिए उन्होंने फिल्म का नाम बदलने की गुजारिश की थी, लेकिन जब उनकी यह मांग नहीं मानी गई, तो उन्होंने फिल्म छोड़ दी।
दूसरी ओर, शाहरुख खान ने भी पहले इस फिल्म को करने से मना कर दिया था। उनकी प्राथमिकता उस समय करण जौहर की कभी अलविदा ना कहना थी, लेकिन उस फिल्म की प्री-प्रोडक्शन में देरी के चलते शाहरुख को चक दे इंडिया के लिए समय मिल गया और उन्होंने इसे साइन कर लिया।
फिल्म में जिन लड़कियों ने हॉकी टीम का हिस्सा निभाया, उनमें से कई वास्तव में हॉकी खिलाड़ी थीं। लेकिन फिल्म के डायरेक्टर शिमित अमीन और प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा ने सुनिश्चित किया कि सभी अभिनेत्रियों को चार महीने की इंटेंस हॉकी ट्रेनिंग दी जाए, ताकि फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस असली लगे।
चक दे इंडिया का बजट 20 करोड़ रुपए था, और इसने बॉक्स ऑफिस पर 109 करोड़ रुपए की कमाई की, जिससे यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई। यह 2007 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी, जहां पहले स्थान पर ओम शांति ओम, और दूसरे स्थान पर वेलकम रही।
फिल्म में शाहरुख खान के साथ काम करने वाली कई अभिनेत्रियां बाद में फिल्मों में नहीं दिखीं, जैसे शुभी मेहता जो अब एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चला रही हैं। वहीं, चित्रांशी रावत, जिन्होंने कोमल चोटाला का किरदार निभाया था, ने बाद में एक्टिंग को ही अपना करियर बना लिया और फैशन और लक जैसी फिल्मों में काम किया।
एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि फ्रीडा पिंटो, जो बाद में स्लमडॉग मिलेनियर से प्रसिद्ध हुईं, ने भी इस फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन उन्हें चुना नहीं गया। फ्रीडा ने बाद में कहा कि अगर उन्हें चक दे इंडिया में काम करने का मौका मिला होता, तो वे बहुत खुश होतीं।
इस तरह की अनकही कहानियां इस फिल्म को और भी खास बनाती हैं, और यह सोचना भी दिलचस्प है कि अगर शाहरुख की जगह सलमान या जॉन होते, तो फिल्म का रंग-रूप कैसा होता।