Thursday, November 21, 2024

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कोई नहीं लिख सकता मुझसे बेहतर दादाजी की बायोपिक, मैं निर्देशक बना तो बनाऊंगा-रणबीर

भिनेता रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ की बीते दिनों खूब चर्चा है। इसे रणबीर कपूर के करियर की अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस माना जा रहा है। कमाई के मामले में वह अपने करियर की सबसे बड़ी फिल्म इसे बना ही चुके हैं। रणबीर कपूर मानते हैं कि उन्हें जो भी सफलता मिली है इसके पीछे उनके दादा राज कपूर प्रेरणा स्रोत रहे हैं। 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में जन्मे भारतीय सिनेमा के पहले शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर अगर आज जिंदा होते तो आज अपना 99 वां जन्मदिन मना रहे होते। रणबीर कपूर अपने दादाजी का जिक्र चलने पर अक्सर बहुत दिलचस्प बातें करते रहे हैं, आइए जानते हैं अब तक जूनियर आरके ने सीनियर मोस्ट आरके के बारे में क्या क्या कहा..

एक्टिंग नहीं बल्कि डायरेक्शन का फैन

रणबीर कपूर अपने दादा राज कपूर की एक्टिंग से ज्यादा उनके डायरेक्शन के बहुत बड़े फैन हैं। वह कहते हैं, ‘मैं अपने दादा राज कपूर के एक्टिंग से ज्यादा उनके डायरेक्शन का बहुत बड़ा फैन हूं। उनके निर्देशन में बनी फिल्में ‘श्री 420’, ‘आवारा’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी फिल्में मुझे बहुत पसंद हैं। इन फिल्मों को देखकर समझ में आया कि डायरेक्शन किस तरह का होता है। इन फिल्मों का प्रभाव मेरे जीवन पर बहुत ही रहा है।

राज कपूर का पोता होने पर गर्व

रणबीर कपूर मानते है कि कपूर खानदान से होने की वजह से उन्हें फिल्मों में आसानी से ब्रेक मिल गया। वह कहते हैं, ‘मुझे गर्व है कि मैं राज कपूर का पोता हूं। इसे मैं एक जिम्मेदारी के तौर पर लेता हूं। दादा जी ने हमारे खानदान के लिए जो किया और उनके कारण दुनिया में हमें जो महत्व मिला, इसके लिए मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा। कपूर खानदान से होने की वजह से मुझे फिल्मों में आसानी से ब्रेक मिल गया जबकि दूसरों को थोड़ी मुश्किल जरूर होती है।

दादाजी को उनकी फिल्मों से जाना

रणबीर कपूर छह साल के थे जब राज कपूर का निधन हो गया। वह कहते हैं, ‘दादा जी से जुड़ी यादें सिर्फ इतनी है जब वह हमें बुलाते थे तो चॉकलेट देते थे। और, यह शर्त रखते थे कि जो सबसे अच्छा एक्टिंग करेगा उसे ज्यादा चॉकलेट मिलेगा। इसके अलावा उनसे जुड़ी बचपन की कुछ खास यादें नहीं। जो भी उनके बारे में सुना वह मम्मी पापा सुना और उनकी फिल्में देखकर जीवन और सिनेमा के बारे में बहुत कुछ सीखा है।

दादाजी की बायोपिक मुश्किल होगी

राज कपूर की बायोपिक के बारे में अक्सर चर्चा होती रहती है। रणबीर कपूर कहते हैं, ‘दादा जी की बायोपिक थोड़ी मुश्किल होगी, क्योंकि उनकी बहुत कंट्रोवर्सियल लाइफ रही है। हमें उनकी कहानी को पूरी ईमानदारी से रखनी होगी, हम उसे प्रोपेगैंडा फिल्म नहीं बना सकते हैं। मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं उनकी बायोपिक बनाऊं।

खुद ही लिखूंगा कहानी

रणबीर कपूर कहते हैं, ‘अगर दादा जी पर कभी भी बायोपिक बनी तो कहानी मैं खुद ही लिखूंगा। हालांकि मैं जानता हूं कि मैं कोई प्रोफेशनल राइटर नहीं हूं लेकिन दादा जी की बायोपिक मुझसे बेहतर कोई नहीं लिख सकता है। दादा जी पर बायोपिक बनाने के लिए पूरे परिवार की सहमति जरूरी है क्योंकि दादा जी के ऐसे बहुत सारे किस्से हैं, जिन्हें फिल्म में नहीं दिखा सकते हैं।

दादा की शेरवानी चुराकर पहनता था

बचपन में रणबीर कपूर अपनी दादी के बहुत करीब रहे। वह कहते हैं, ‘दादी ने दादा जी की कई चीजें संभाल कर रखी थी । दादी के पास रखी दादा जी की शेरवानी चुरा लेता था और उसे पहन कर दादी को दिखता था। वह वही शेरवानी थी जिसे दादा जी ने अपनी शादी में पहनी थी। दादा जी के बहुत सारे खत दादी के पास थे, जिसे मैं पढ़ता था।

दादा जी की बेशकीमती संपत्ति है मेरे पास

रणबीर कपूर ने अपने दादा जी के सबसे बेशकीमती संपत्ति का खुलासा करते हुए कहा, ‘जब मेरी पहली फिल्म ‘सांवरिया’ रिलीज हुई थी, तो हरियाणा के बीएस सोडी नाम के एक सज्जन ने मुझे दादा जी का लिखा एक ऑटोग्राफ भेजा। जिस पर मेरे दादाजी ने 19 मार्च 1950 को हस्ताक्षर किया था, जिसमें लिखा है, विनम्रता एक कलाकार का सबसे बड़ा गुण है। दादा जी का वह ऑटोग्राफ संभाल कर रखा हूं। मेरे लिए वह दादा जी की सबसे बेशकीमती संपत्ति है।

दादा जी से मिलती है प्रेरणा

रणबीर कपूर मानते है कि आज वह जिस मुकाम पर हैं और अपने दादा जी से मिली प्रेरणा की वजह से हैं। रणबीर कपूर कहते हैं, ‘मैं आज यहां जिस मुकाम पर हूं इसके लिए काफी हद तक अपने दादा राज कपूर से प्रेरणा मिली है। उनकी फिल्में देखकर मुझे बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलती है। मैं उम्मीद करता हूं, वह जहां कहीं होंगे मुझे और मेरी फिल्मों को देखकर खुश होंगे। मैं जो काम कर रहा हूं उस पर वह गर्व महसूस करते होगें।

आर के स्टूडियो का बिकना कड़वा अनुभव था

रणबीर कपूर कहते हैं, ‘आर के स्टूडियो से बहुत सारी यादें जुड़ी है। दादा जी की वह आखिरी निशानी थी। उस संभालना जरूरी था। लेकिन यह एक पारिवारिक फैसला था। सभी को लगा कि इसे बेचा जाना ही सही रहेगा। कोई भी वहां नहीं रह रहा था और उसे मेन्टेन करना मुश्किल हो रहा था। यह एक थोड़ा कड़वा एहसास है। हम सभी वही पले बढ़े हैं। हम रविवार को फैमिली डिनर के लिए वहां मिलते थे।

आर के की विरासत को आगे बढ़ाना है

रणबीर कपूर ने अपने दादा राज कपूर की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं अपने दादा राज कपूर के नाम को बरकरार रखना चाहता हूं। मैं उनसे बहुत प्रेरित हूं, लेकिन मैं उनकी छाया से बाहर निकलना चाहता हूं और बहुत कुछ हासिल करना चाहता हूं। अगर भविष्य में कभी फिल्म का निर्देशन किया तो इसे रणबीर फिल्म्स या आरके जूनियर फिल्म्स नाम दे सकता हूं।

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