फिल्म जगत के दो महान कलाकार दिलीप कुमार और नुतन अपने सुनहरे दिनों मे किसी फिल्म मे एक साथ नजर नहीं आए.उस दौर के दर्शकों की इस कामना को पुर्ण करती फिल्म ‘शिकवा’ उन दिनों प्रारंभ हुई थी. दिलीप कुमार और नुतन अभिनीत इस फिल्म को फिल्मकार कंपनी के बैनर तले माखनलाल और राजेंद्र जैन द्वारा बनाया जाना था.फिल्म का निर्देशन रमेश सहगल कर रहे थे.सैगल साहब दिलीप कुमार की अत्यंत लोकप्रिय फिल्म ‘शहिद’ के निर्देशक थे.फिल्म का संगीत गुलाम हैदर दे रहे थे.लता मंगेशकर के स्वर मे दो गीत रिकार्ड हो चुके थे.फिल्म इंडिया पत्रिका के अगस्त 1951 के अंक मे प्रकाशित विज्ञापन मे शिकवा को’ story of a man who challenged GOD’ के रुप मे परिभाषित किया गया था.
फिल्म की कहानी एक सैनिक राम ( दिलीप कुमार की है जीसपर अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं करने के लिए मुकदमा चल रहा है. राम को चलते युध्द मे हो रहा संहार निरर्थक लगता है और वो रणभूमि से ही शांति का संदेश देता है.इस क्रम मे राम अपनी एक आंख और एक बाजु खो बैठता है.उसका चेहरा भी विद्रुप हो जाता है.
राम पर बगावत और युध्द के आदेश का पालन न करने का आरोप लगता है और उसने कोर्टमार्शल कर दिया जाता है.राम की प्रेयसी इंदु ( नुतन)उसकी मदद करने का प्रयास करती है.राम की केस का जांच अधिकारी नरेंद्र भी इंदु को चाहता है.इंदुके नरेंद्र से विवाह की शर्त पर राम को मृतयुदंड से बचाकर मानसिक चिकित्सा के लिए भेज दिया जाता है.चिकित्सा गृह से भागकर जब वो इंदु तक पहुंचता है तो पाता है की इंदुका विवाह नरेंद्र से हो रहा है.वो स्वयं गिरफ्तार होकर फिर मानसिक चिकित्सा केंद्र पहुंच जाता है.
फिल्मकार कंपनी ने छोटी भाभी,दिदार,घुंघरु और मन जैसी फिल्मे बनाई और अधिकतर के असफल होने के कारण बंद हो गई. शिकवा भी अधूरी रह गई .लम्बे अरसे बाद दिलीप कुमार और नुतन कर्मा और कानून अपना अपना मे नजर आए.