अजय देवगन और सैफ अली खान की फिल्म कच्चे धागे की रिलीज़ को 25 साल पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर फिल्म के डायरेक्टर मिलन लूथरिया ने फिल्म की मेकिंग से जुड़े कई दिलचस्प किस्से साझा किए हैं, जिनमें से एक किस्सा मशहूर संगीतकार नुसरत फतेह अली खान से जुड़ा है।
नुसरत फतेह अली खान को मनाने का किस्सा:
मिलन लूथरिया ने बॉलीवुड हंगामा के साथ हुए एक इंटरव्यू में बताया कि जब कच्चे धागे के लिए म्यूज़िक कंपोज़र चुनने की बात आई, तो उन्हें एक ऐसा संगीत चाहिए था, जो गांव के फील वाला हो लेकिन इंटरनेशनल फ्लेवर भी हो। रमेश तौरानी, जो उस समय टिप्स फिल्म्स के लिए 6-7 फिल्में प्रोड्यूस कर रहे थे, ने मिलन को बताया कि उन्होंने नुसरत फतेह अली खान को एक फिल्म के लिए साइन किया है और पूछा कि क्या मिलन उनके साथ काम करना चाहेंगे। मिलन ने हां कहा, लेकिन नुसरत फतेह अली खान ने नए डायरेक्टर के साथ काम करने से मना कर दिया।
इसके बाद, रमेश तौरानी ने मिलन को लंदन जाकर नुसरत से पर्सनली मिलने का सुझाव दिया। मिलन लंदन पहुंचे और नुसरत के घर के बाहर लोगों की लंबी लाइन देखी। मिलन से मिलने के बाद, नुसरत साहब ने उनसे कहा कि वह उनके साथ काम नहीं कर सकते क्योंकि उनके लिए उनके शऊर (मूल्य और सिद्धांत) ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
मिलन ने उनकी बात सुनी और वहां से जाने लगे, तभी नुसरत साहब ने उनसे उनका पसंदीदा म्यूज़िक डायरेक्टर पूछा। मिलन ने मदन मोहन का नाम लिया। यह सुनकर नुसरत फतेह अली खान ने अपने एक शागिर्द से हार्मोनियम मंगवाई और अगले चार घंटों तक मदन मोहन के गाने गाते रहे। अगले दिन, नुसरत साहब ने मिलन को 55 नए गाने सुनाए और कहा कि इनमें से कोई भी 7 गाने चुन लें।
कच्चे धागे का मास्टरपीस एल्बम:
इन्हीं चार घंटों के दौरान कच्चे धागे के सभी सात गाने फाइनल हो गए। मिलन ने बताया कि उस रात उन्हें नींद नहीं आई और वह लंदन की सड़कों पर घूमते रहे, क्योंकि उन्हें समझ आ गया था कि उन्होंने अपनी फिल्म के लिए एक मास्टरपीस एल्बम पा लिया है।
इसके बाद, नुसरत फतेह अली खान मुंबई आए और मिलन, दिग्गज गीतकार आनंद बख्शी को लेकर उनके होटल में जाते थे, जहां नुसरत साहब धुन गुनगुनाते और आनंद बख्शी गाने लिखते थे।
हालांकि, कच्चे धागे की रिलीज़ से पहले ही नुसरत फतेह अली खान का देहांत हो गया। वह मात्र 48 साल के थे। उनके संगीत ने फिल्म को एक खास पहचान दी, और यह एल्बम आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।