लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो न होशायद फिर इस जनम में मुलाकात हो न हो
https://youtu.be/TFr6G5zveS8?si=E4_pW_3O78BQwvQ8
धुन नैना बरसें रिमझिम रिमझिम की धुन मदन मोहन ने अठरा साल पहले ही बनाई थी पर न जाने कैसे किसी भी निर्माता को वो धुन पसंद नहीं आती थी मदन मोहन जिसे भी वो धुन सुनाते वो उसे रिजेक्ट कर देता, यूँ बार बार रिजेक्ट मिलने से तंग हो चुके मदनमोहन ने ‘वह कौन थी के वक्त ये तय कर लिया था की अगर राज खोसला भी इसे रिजेक्ट कर देते है तो वे इस धुन के बारे में सोचना बंद कर देंगे पर मदन मोहन के साथ श्रोताओं की भी किस्मत अच्छी थी की राज खोसला को वो धुन बहोत पसंद आई और उन्होंने इसे सुनते ही हाँ कर दी लेकिन मदन मोहन ने दूसरी धुन “लग जा गले” को उन्होंने रिजेक्ट कर दिया! यह एक अजीब सच था की लगातार रिजेक्ट होने वाली धुन select हो गई और लगभग सिलेक्ट होनेवाली धुन रिजेक्ट हुई! लेकिन फिल्म के हीरो मनोज कुमार को “लग जा गले” की धुन बहोत पसंद आई और उन्होंने राज खोसला को इस गीत को फिल्म में रखने के लिए राजी किया।
अज इन दोनों गीतों को सुनते सुनते कई पीढियां बदल गई, ये गीत अभी भी जब भी सुनो हमारी सोई हुई भावनाओं को जगाते रहते है….
लग जा गले के फिर ये
हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में
मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले…
मनोज कुमार और साधना
फिल्म -वो कौन थी