Monday, October 28, 2024

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59 साल पहले धर्मेंद्र ने ठुकराई फिल्म, जिससे राज कुमार ने बॉक्स ऑफिस पर की झन्नाट कमाई

भारत में लॉस्ट एंड फाउड के फार्मूले पर अनगिनत फिल्में बनी हैं. 1943 में आई फिल्म ‘किस्मत’ से शुरू हुआ ये सिलसिला आज भी जारी है. इन फिल्मों में इमोशन तो होता है, लेकिन सस्पेंस का भी कोई कमी नहीं होती और अक्सर ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त कमाई कर मेकर्स को मालामाल कर जाती है.

साल 1964 में एक फिल्म इसी फार्मूले पर बननी थी. फिल्म में एक स्टार नहीं कई नामी सितारों को लेने का प्लान था ।मेकर्स इस फिल्म के एक रोल के लिए धर्मेंद्र को लेना चाहते थे. मुलाकात हुई, कहानी पर चर्चा हुई, लेकिन बात नहीं बनी. कहानी सुनते ही धर्मेंद्र ने कहा दिया ‘मैं ये रोल नहीं करूंगा…’.

बस क्या था मेकर्स मुंह लटकाकर वापस आ गए.धर्मेंद्र की न के बाद मेकर्स परेशान थे कि आखिर किसको अब फिल्म में रोल दिया जाए. हिम्मत कर मेकर्स अक्खड़ एक्टर यानी राज कुमार के पास पहुंचे फिल्म के लिए उन्होंने हां कि फिर वो हुआ, जिसका मलाल धर्मेंद्र को हमेशा रहा. कौन सी थी ये फिल्म और फिल्म ने 59 साल पहले जैसे बॉक्स ऑफिस पर आग लगा दी थी, चलिए आपको बताते हैं…

लॉस्ट एंड फाउड फार्मूले पर बनी फिल्में लोकप्रिय कैसे बनी. तो इस फिल्म के श्रेय उस फिल्म को जाता है, जिस फिल्म के लिए धर्मेंद्र ने साफ-साफ मना कर दिया था. ये फिल्म थी ‘वक्त’. राज कुमार का वो डायलॉग याद है आपको ‘जिनके अपने घर शीशे के हो, वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं फेंका करते.’ ये इसी फिल्म का वो डायलॉग था, जिसने अड़ियल एक्टर का वक्त बदल दिया था.

30 जुलाई 1965 में रिलीज हुई फिल्म ‘वक्त’ का निर्माण किया था बीआर चोपड़ा ने और फिल्म के डायरेक्शन को जिम्मा उन्हीं के भाई यश चोपड़ा ने उठाया था. 3 घंटे 26 मिनट लंबी इस फिल्म के कहानी से लेकर गाने लोगों को खूब लुभाए. फिल्म में बलराज साहनी, सुनील दत्त, राज कुमार, शशि कपूर, साधना, शर्मिला टैगोर लीड रोल में थे. फिल्म का एक गाना तो आज भी लोग खूब गुनगुनाते हैं, जिसके बोल हैं- ‘ऐ मेरी जोहरा जबी’.

साल 1965 में रिलीज हुई ये फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. इस फिल्म का बजट था करीब 35 लाख था और फिल्म ने 59 साल पहले करीब 3 करोड़ रुपये कमाए थे. ये फिल्म कई मायने में भारतीय सिनेमा के लिए खास थी. ये फिल्म बीआर फिल्म्स की पहली रंगीन फिल्म थी. फिल्म क्रिटिक्स मानते हैं कि ये वो फिल्म है, जिससे लॉस्ट एंड फाउड फार्मूले को हिट कराया. फिल्म की कहानी तीन भाइयों की थी, जो बिछड़ जाते हैं. धर्मेंद्र को बड़े भाई का किरदार निभाने के लिए चुना गया. वहीं, सुनील दत्त और शशि कपूर फिल्म में छोटे भाइयों का किरदार निभा रहे थे.

इस फिल्म के लिए मेकर्स कपूर परिवार के तीनों स्टार्स यानी राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर को लेना चाहते थे. लेकिन, एक दिन यश चोपड़ा की मुलाकार बिमल रॉय से हुई, तो उन्होंने सलाह दी कि तीनों भाईयों को एक साथ न ले. ऐसे में फिल्म की कहानी के मुताबिक कोई ये यकीन नहीं करेंगा कि वो एक-दूसरे को पहचान नहीं पाए थे.

फिल्म के लिए पहले सुनील दत्त भी तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्हे लगता था कि राज कुमार फिल्म का सारी लाइम लाइट लूट ले जाएंगे. काफी ना-नुकर के बाद उन्होंने यश चोपड़ा की बात को रख लिया, लेकिन ये भी सच है कि उन्हें जो डर था वो सही साबित हुआ, फिल्म के ज्यादातर प्रभावशाली डायलॉ़ग्स राज कुमार के पास आए, जिससे उनका स्टारडम और बढ़ गया.

फिल्म में साधना के अलावा शर्मिला टैगोर भी थीं और दोनों ने पिछली सदी के सातवें दशक का फैशन स्टेटमेंट इस फिल्म से तैयार कर दिया. फिल्म ‘गांधी’ के लिए बेस्ट कॉस्ट्यूम का ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली भानु अथैया ने इस फिल्म में जी तोड़ मेहनत की थी.हालांकि, फिल्म रिलीज हुई और छा गई. फिल्म को तीन फिल्मफेयर अवार्ड और मिले, एक तो बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड मिला यश चोपड़ा को, दूसरा बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड मिला राज कुमार को और तीसरा बेस्ट सिनेमैटोग्राफर का अवार्ड मिला बी आर चोपड़ा व यश चोपड़ा के भाई धर्म चोपड़ा को.

इनके अलावा ‘वक्त’ को बेस्ट फिल्म का और साधना को बेस्ट एक्ट्रेस का नॉमिनेशन भी मिला. इस फिल्म की बंपर सफलता को देखते हुए फिल्म मेकर्स ने इसे तेलुगु में ‘भाले अब्बायिलु’ के रूप में बनाया गया था जो 1969 में रिलीज हुई थी और मलयालम में ‘कोलीलक्कम’ के नाम से बनाया जो 1981 में रिलीज हुई थी.

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